NEELAM GUPTA

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लेखनी कहानी -24-Jan-2022रोमांचित भय।

    #🌹🌹नजरिया 🌹🌹

रोमांचित भय 

किस्सा है काॅर्बेट नेशनल पार्क का ।
उस सूनी अंधकारमयी रात का।

शाम को हम पहुंचे उस जंगल ।
सोचा था वहां करेंगे भरपूर मनोरंजन ।

लेकिन रात होते ही बन्द कर दी सब रोशनी ।
छोटे बच्चों के साथ कैसे रहे ये बात पड़ रही थी सोचनी

रात के अन्धेरे में मदमस्त चाँद फैला रहा था प्रकाश ।
तारों भरा आसमां देख थोड़ी राहत का हुआ एहसास ।

इन्जार था रात गुजरने का।
सिंह से मुलाकात का।

मार्च के महीने में ।
सुबह सुबह बैठे जिप्सी सफारी में ।

मौसम था सुहावना ।
ऑखमिचौली करते हुए पत्तों के बीच से
धूप का झाँकना ।

सरसर चल रही थी पवन ।
हाथ पाँव ठंडी हवा से जाते  सिकुड़ ।
इनकी बाँह होले से मैं लेती पकड़ ।

घने जंगलों से जा रहे थे गुजरते ।
काले काले साँय में थोड़ा डरते डरते ।

कहीं हाथियों के झुंड  कहीं रंग  बिरंगे हिरन ।
उन सबको देखकर उमड़ी मन में उमंग ।

कहीं बारहासिंगहा के सिंग आपस मे उलझ रहे थे ।
ये भी ना पता चले किआपस में साथ थे या लड़ रहे थे।

चारों तरफ पेड़ ही पेड़ थे ।
दिन में भी  झिंगुर घू घू गुंज रहे थे ।

घने जंगल में ऐसा लगें हम खो गये थे ।
कहीं सूखे पत्ते खनखना रहे थे ।

कभी किसी आहट से दिल घबरा रहे थे ।
इतने में अचानक से कोई बोला देखो ।
भेड़िया आया भेड़िया आया ।

पहले से ही हम डरे हुए थे ।उनकी बातों
ने हमें और डराया ।
बोले देखो देखो शेर अभी इधर से है आया

लेकिन शेर का नाम सुनते ही हम सब हो गये  चौकन्ने ।
डर को दूर कर शेर को इधर उधर निगाहों से लगे ढूँढने।

पैरों के निशान दिखाकर हमें उन्होंने बहलाया।
सारा जोश वहां गया ढह।
चाहे कितनी भी मुश्किल हुई या कितना भी लगा हो भय।

लेकिन जंगल के देखने का रोमांच हुआ ना कुछ भी कम
कितने ही नजारे मनपटल पर छाए ।
आज भी आनंदित हो जाता जब  याद करती वो घने जंगल के साए ।


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